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“बिहार चुनाव के दूसरे चरण में दिग्गजों की परीक्षा — 122 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर”…

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण अब निर्णायक मोड़ पर है। 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होने जा रहा है, जिसमें सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन आमने-सामने हैं। यह चरण न सिर्फ कई दिग्गज नेताओं की साख तय करेगा, बल्कि अगले पांच वर्षों के लिए बिहार की सत्ता का समीकरण भी।

दूसरे चरण में दिग्गजों की टक्कर

इस चरण में भाजपा, जदयू, लोजपा और हम (सेक्युलर) की एनडीए तथा राजद, कांग्रेस, वामदलों और आईएमएल की महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। कई सीटों पर पुराने दिग्गजों के साथ-साथ नए चेहरे भी मैदान में हैं, जिससे चुनाव और दिलचस्प हो गया है।

122 सीटों पर समीकरण और गणित

दूसरे चरण की 122 सीटें बिहार के उत्तर और दक्षिण—दोनों क्षेत्रों की राजनीतिक नब्ज को दर्शाती हैं। 2020 में इन सीटों में से एनडीए ने 71 पर जीत दर्ज की थी, जबकि महागठबंधन को 49 सीटें मिली थीं। इस बार एनडीए को अपनी सत्ता बचाने के लिए हर सीट पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, वहीं विपक्ष सत्ता तक पहुंचने का यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता।

पिछले चुनाव का हाल

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। अब इन 122 सीटों पर फिर से मुकाबला है, जहां पिछले नतीजों का असर इस बार के माहौल में साफ देखा जा सकता है। कई सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत का अंतर कुछ सौ वोटों तक सीमित था।

अग्निपरीक्षा और बदलाव की जंग

एनडीए के लिए यह चरण “अग्निपरीक्षा” है—जहां उसे सत्ता विरोधी लहर और जातीय समीकरणों की चुनौती दोनों झेलनी हैं। वहीं महागठबंधन इसे ‘सत्ता परिवर्तन’ का सबसे बड़ा अवसर मान रहा है। छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना रहे हैं, जो परिणाम की दिशा तय कर सकते हैं।

अंतिम पड़ाव की ओर बिहार

दूसरे चरण का मतदान यह तय करेगा कि क्या एनडीए अपने सत्ता समीकरण को बचा पाएगा या बिहार में महागठबंधन की नई कहानी लिखी जाएगी। जनता का फैसला 122 सीटों के नतीजों में छिपा है — और यहीं से तय होगी बिहार की नई राजनीतिक तस्वीर।

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